A REVIEW OF BHOOT KI KAHANI

A Review Of bhoot ki kahani

A Review Of bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

दुनियाँ में जिस तरह पवित्र और धार्मिक शक्तियों का अस्तित्व और महात्म्य है, उसी तरह आसुरी शक्ति, भूत प्रेत, और मैली विद्या, की पूजा करने वाले, और उसमे मानने वाले लोगो की भी कमी नहीं है। इक्कीसवी सदी में सांस लेने वाली दुनियाँ के कुछ लोग आज भी भूत प्रेत – और अतृप्त आत्मा, के अपने आस-पास होने का भास करते हैं।

मैं उसके पास रुका भी नहीं क्योंकि मुझे उस लड़की से डर लग रहा था। वह लड़की कई दिनों तक मुझे देखती रहती थी। एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया।

तभी मुझे लगा की खिड़की से कोई लंबा सा हाथ अंदर आया और मेरी बीड़ी लेकर चला गया। तब तो मनो की मेरे होश उड़ गए। लेकिन उसका चेहरा हमें दिखाई नहीं दिया । क्योंकि बाहर अंधेरा था और अंदर लालटेन धीमी जल रही थी ।

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No matter if it’s the adventures in a very mysterious jungle or perhaps the deep-seated morals found in people tales, this selection guarantees a mixture of entertainment and valuable lifetime classes, making it a go-to desired destination for visitors seeking both equally enjoyment and wisdom in the artwork of storytelling.

जीवन में लक्ष्य का होना ज़रूरी क्यों है ?

भूत प्रेतों से जुड़ी तीन सच्ची कहानियां

par mujhe pta nahi kyu vo khoon dekh kar me use pine k liye utavla hota ja rha tha.. shayd me bhi unki trhe ban gya tha… or mene vo khun piya or achanak meri nind tut gyi… fir me utha or mujhe jor ki pyas lag rhi thi… mene pani piya to mujhe ulit aa gyii… me kafi dar gya tha…

तभी मेरी नजर ऊपर गई और मैंने देखा की धुआ जैसा कुछ उठ रहा है । तब मैंने अपनी मां को जगाया और माँ को बोला माँ ऊपर देखो । यह काला काला धुंआ जैसा क्या उठ रहा है। मेरी मां समझ गई ।

कि यह मेरी चाची की आत्मा जो मुझे लेने आई थी। क्योंकि मरने से पहले मेरी चाची ने कहा था। कि मैं तुम्हारी बड़ी बेटी को छोडूंगी नहीं .

और उनको कुछ याद भी नहीं आया. और वह एकदम स्वस्थ हो गए, और अपने बैंक में काम फिर से चालू कर दिया।

फूलपुर गांव में शाम का वक़्त था शहनाई की आवाज सुनाई दे रही थी आज अभिषेक और मायरा की शादी थी । फूलपुर गांव में खूनी वधु का आतंक था इसीलिए लोग रात होने से पहले ही अपने घर का दरवाजा बंद कर देते थे । ...

उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं। प्रसाद ने पहले तो उसे डांटा कि वह पटरी के इतने पास क्यों गया।

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